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"राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद: परीक्षा में आए 5 महत्वपूर्ण प्रश्न (2018–2025)"

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद ✨ परीक्षा प्रश्न 2018–2025 🌟 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद 🌟 📘 कक्षा 10 हिंदी – परीक्षा में पूछे गए प्रश्न और उत्तर (2018–2025) 📅 पूछा गया वर्ष: CBSE 2020, MP बोर्ड 2023 🧠 प्रश्न 1: लक्ष्मण के कथन से उनके स्वभाव की कौन-कौन सी विशेषताएँ प्रकट होती हैं? लक्ष्मण का स्वभाव बहुत साहसी और तेजतर्रार है। जब परशुराम क्रोधित होते हैं, तब लक्ष्मण उनसे डरते नहीं, बल्कि व्यंग्य में उत्तर देते हैं। इससे उनकी निडरता , बुद्धिमानी और स्वाभिमान का पता चलता है। वे अपने भाई राम के लिए पूरा सम्मान रखते हैं और उनका अपमान सहन नहीं करते। 📅 पूछा गया वर्ष: MP बोर्ड 2019, CBSE 2021 🔱 प्रश्न 2: ‘नाथ संभुधनु भंजनिहारा’ – इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। यह पंक्ति श्रीराम द्वारा परशुराम से विनम्रता पूर्वक कही गई है। राम कहते हैं कि जो शिवजी का धनुष तोड़ सके, वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं हो सकता – वह अवश्य ही कोई ऐसा होगा जो आपका सेवक बनने योग्य है। इससे राम का विनम्र, मर्यादित और बुद्धिमान स्वभाव प्र...

✨ कक्षा 10 हिंदी | सूरदास के पद के टॉप प्रश्न-उत्तर (2018–2024 CBSE/MP Board)

सूरदास के पद – प्रश्न उत्तर संकलन (HTML) 🌸 सूरदास के पद – पिछले वर्षों के प्रश्न उत्तर (40-50 शब्दों में) 📘 पाठ परिचय: यह भक्ति कालीन कवि सूरदास द्वारा रचित पद हैं, जिनमें गोपियाँ श्रीकृष्ण से विरह के भावों को उद्धव के माध्यम से व्यक्त करती हैं। 🌺 पद 1: “ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी...” 📅 वर्ष ❓ प्रश्न ✅ उत्तर 2019 (CBSE) गोपियाँ ऊधौ को ‘अति बड़भागी’ क्यों कहती हैं? गोपियाँ ऊधौ को इसलिए ‘अति बड़भागी’ कहती हैं क्योंकि वे श्रीकृष्ण के निकट रहते हैं। गोपियाँ कृष्ण-विरह से पीड़ित हैं और आश्चर्य करती हैं कि ऊधौ का मन कृष्ण में अनुरक्त क्यों नहीं है। 2018 (CBSE) “पुरइनि पात रहत जल भीतर…” – उपमा का आशय स्पष्ट करें। इस पंक्ति में ऊधौ के प्रेम को सतही बताया गया है। जैसे कमल का पत्ता जल में रहकर भी गीला नहीं होता, वैसे ही ऊधौ कृष्ण के पास रहकर भी उनके प्रेम से प्रभावित नहीं होते। 2017 (CBSE) “ज्यों जल माहँ तेल की गागरि…” – भावना स्पष्ट करें। यह उपम...

🌸 सूरदास के पद: कक्षा 10 के लिए तर्क आधारित प्रश्न-उत्तर | क्षितिज भाग 2

सूरदास के पद – तर्क आधारित प्रश्न उत्तर | कक्षा 10 हिंदी 🌺 सूरदास के पद – तर्क आधारित प्रश्न उत्तर (क्षितिज, कक्षा 10) प्रश्न 1 गोपियाँ श्रीकृष्ण द्वारा भेजे गए योग-संदेश को अस्वीकार क्यों करती हैं? गोपियाँ योग-संदेश को इसलिए अस्वीकार करती हैं क्योंकि वह उनके प्रेम और भावनाओं से मेल नहीं खाता। उनके लिए प्रेम ही जीवन का आधार है, जबकि योग उन्हें विरक्ति सिखाता है। यह तर्कहीन प्रतीत होता है, क्योंकि वह उनकी पीड़ा का समाधान नहीं देता। प्रश्न 2 उद्धव के प्रति गोपियाँ उपेक्षा और व्यंग्य क्यों दिखाती हैं? गोपियाँ उद्धव को व्यंग्यात्मक दृष्टि से इसलिए देखती हैं क्योंकि वे बिना प्रेम का अनुभव किए केवल ज्ञान और नीति की बातें करते हैं। गोपियों के अनुसार, जिसने प्रेम की अग्नि में जलन नहीं सही, वह प्रेमियों को उपदेश देने का अधिकारी नहीं हो सकता। प्रश्न 3 गोपियाँ श्रीकृष्ण को ‘राजनीति पढ़े’ व्यक्ति के रूप में क्यों चित्रित करती हैं? गोपियाँ श्रीकृष्ण को 'राजनीति पढ़े' व्यक्ति के रूप में...

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद – भाग 3 | कक्षा 10 क्षितिज | Hindi ke Mitra

राम, लक्ष्मण और परशुराम संवाद – भाग 3 | कक्षा 10 ✨ राम, लक्ष्मण और परशुराम संवाद – भाग 3 ✨ 📘 कक्षा 10 – क्षितिज 📖 परिचय: शिव धनुष टूटने के बाद जनकसभा में परशुराम का क्रोध चरम पर था। लक्ष्मण जी अपने साहस, व्यंग्य और संयम से जिस तरह परशुराम जी का सामना करते हैं, वह संवाद हिंदी साहित्य में वीर रस का एक अनुपम उदाहरण है। प्रस्तुत है संवाद का तीसरा भाग। 🌼 चौपाई बिहसि लखनु बोले मृदु बानी । अहो मुनीसु महाभट मानी ॥ 🗣️ वक्ता: लक्ष्मण 📝 शब्दार्थ: बिहसि = हँसकर, मृदु बानी = कोमल वाणी, मुनीसु = श्रेष्ठ मुनि, महाभट = महान योद्धा, मानी = मानने वाले 💡 आशय: लक्ष्मण हँसते हुए कोमल वाणी में कहते हैं – हे मुनिवर! आप तो अपने आप को महान योद्धा मानते हैं। 🌷 भावार्थ: लक्ष्मण अपने व्यंग्यपूर्ण अंदाज में परशुराम के क्रोध को चुनौती दे रहे हैं। 🌼 चौपाई पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु । चहत उड़ावन फूँकि पहारू ॥ 📝 शब्दार्थ: पुनि पुनि = बार-बार, कुठारु = फरसा, फूँकि = फूँक से, पहारू = पहाड़ 💡 आशय: आप बार-बार मुझे फरसा दिखा रहे हैं, जैसे फूँक मारकर पहा...

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद – भाग 2 | कक्षा 10 क्षितिज | Hindi ke Mitra

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद - भाग 2 | कक्षा 10 🌸 राम, लक्ष्मण और परशुराम संवाद – भाग 2 🌸 (कक्षा 10 – क्षितिज) 📖 परिचय: यह प्रसंग उस समय का है जब भगवान राम ने जनकपुर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा। यह देखकर क्रोधाग्नि से जलते हुए परशुराम जी सभा में आते हैं और वहां खड़े लक्ष्मण जी व्यंग्य और बुद्धि से भरी बातों के माध्यम से उनका सामना करते हैं। 🌼 चौपाई लखन कहा हसि हमरे जाना । सुनहु देव सब धनुष समाना ॥ 🗣️ वक्ता: लक्ष्मण 📝 शब्दार्थ: लखन = लक्ष्मण, हसि = हँसकर, हमरे जाना = मेरी समझ में, देव = देवता/ऋषि, समाना = समान 💡 आशय: हे देव! मेरी समझ में तो सभी धनुष एक जैसे होते हैं। 🌷 भावार्थ: लक्ष्मण व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि इसमें इतनी उत्तेजना की क्या बात है, शिव धनुष भी अन्य धनुषों जैसा ही है। 🌼 चौपाई का छति लाभु जून धनु तोरें । देखा राम नयन के भोरें ॥ 🗣️ वक्ता: लक्ष्मण 📝 शब्दार्थ: छति = हानि, लाभु = लाभ, जून = पुराना, नयन के भोरें = आँखों के सामने 💡 आशय: इस पुराने धनुष के टूटने से क्या हानि या ल...

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद – भाग 1 | कक्षा 10 क्षितिज | Hindi ke Mitra

राम, लक्ष्मण और परशुराम संवाद | कक्षा 10 क्षितिज 🌺 राम, लक्ष्मण और परशुराम संवाद 🌺 (कक्षा 10 – क्षितिज भाग 2) 📜 परिचय: यह प्रसंग रामचरितमानस के अयोध्याकाण्ड से लिया गया है, जहाँ भगवान राम द्वारा शिवधनुष तोड़े जाने के बाद परशुराम क्रोधित होकर जनक दरबार में आते हैं। इस संवाद में राम की विनम्रता, लक्ष्मण की व्यंग्य शैली और परशुराम के तेजस्वी क्रोध का सुंदर चित्रण हुआ है। 🌸 चौपाई 1 नाथ संभुधनु भंजनिहारा । होइहि केउ एक दास तुम्हारा ॥ 🗣️ वक्ता: श्रीराम 📝 शब्दार्थ: नाथ = स्वामी, शंभु = शिव, धनु = धनुष, भंजनिहारा = तोड़ने वाला, होइहि = होगा, केउ = कोई, दास = सेवक 💡 आशय: हे स्वामी! जिसने शिवजी का धनुष तोड़ा है, वह कोई आपका सेवक ही होगा। 🌷 भावार्थ: रामजी परशुराम के क्रोध को शांत करने हेतु अत्यंत विनम्रता से कहते हैं कि यदि कोई शिव धनुष तोड़ने वाला है, तो वह अवश्य आपका भक्त और सेवक ही होगा। 🌸 चौपाई 2 आयेसु काह कहिअ किन मोही । सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही ॥ 🗣️ वक्ता: तुलसीदास (कथन वर्णन) 📝 शब्दार्थ: आये...

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद भाग 1 – कक्षा 10 क्षितिज | विनम्रता बनाम क्रोध 🔥🙏

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद – भाग 1 (अलौकिक शैली) 📘 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद – भाग 1 (अलौकिक शैली) 🌸 नाथ संभुधनु भंजनिहारा। 🌸 होइहिं केउ एक दास तुम्हारा॥ 🗣 राम (नम्रता से): जिसने शिवजी का धनुष तोड़ा, वह कोई आपका सेवक ही होगा। शब्द अर्थ नाथ स्वामी / प्रभु संभु शिवजी धनु धनुष भंजनिहारा तोड़ने वाला केउ कोई दास सेवक 🌿 भावार्थ: श्रीराम अत्यंत शांति से कहते हैं कि इस कार्य को करने वाला साधारण नहीं हो सकता – वह अवश्य आपका कोई सेवक होगा। उनकी विनम्रता यहाँ चमकती है। 🌸 आयसु काह कहिअ किन मोही। 🌸 सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही॥ 🗣 राम (शिष्टतापूर्वक): आपने मुझे बुलाया है, कृपया बताइए क्या आज्ञा है? 😠 परशुराम (क्रोध में): यह क्या उत्तर है? यह व्यंग्य है या विनम्रता? शब्द अर्थ आयसु आज्ञा काह क्यों कहिअ कहें मोही मुझे रिसाइ क्रोधित होकर मुनि कोही मुनि परशुराम 🔥 भावार्थ: रामजी का शांत और सभ्य प्रश्न परशुराम को चुभ जाता है। वे इसे अपमान समझकर क्रोधित हो उठते हैं। यहाँ से ...